महावीर जयंती के दिन भोपाल में लाल परेड ग्राऊण्ड से आचार्य श्री के प्रवचन हुये। प्रवचन के उपरान्त आचार्य गुरूदेव चौक मंदिर की ओर विहार करते हुए आ रहे थे तभी किसी श्रावक ने आचार्य श्री जी के प्रति भक्ति प्रदर्शित करते हुये नारा लगाया - "चतुर्थ काल की आत्मा”
"काया पंचम काल की”
यह सुनकर आचार्य गुरूदेव ने लघुता प्रदर्शित करते हुए कहा कि - भैया चतुर्थ काल की आत्मा नहीं अनंतकाल की आत्मा कहो, अनंत काल की। अनंत काल से यह आत्मा संसार में रह रही है।