किसी सज्जन ने आचार्य गुरूदेव से कहा साधुओं को गौशाला खुलवाने की प्रेरणा नहीं देना चाहिए उसमें हिंसा होती है। उन्हें तो आत्म ध्यान करना चाहिए। यह सुनकर आचार्य श्री ने कहा गौशाला में हिंसा नहीं होती, साक्षात् दया पलती है, करूणा के दर्शन होते हैं, गौशाला भी आयतन हैं, "अहिंसा का आयतन सम्यग्दर्शन में अनुकम्पा गुण कहा है वह गौशाला में पशुओं के संरक्षण से प्रयोग में आता है यह सक्रीय सम्यग्दर्शन माना जाता है। बच्चों को पालना मोह है, किन्तु पशुओं को पालना दया अनुकम्पा है।