एक बार आचार्य श्री ने बताया कि आप लोगों (मुनिराजों) की रत्नत्रय की गाड़ी है, इसमें रत्न भरे हैं, अध्यात्म इस गाड़ी की स्टेरिंग है। मोक्ष की इच्छा रखने वाले मुमुक्षु को अध्यात्म की ओर ही दृष्टि रखना चाहिए। अध्यात्म को कभी भी भूलना नहीं चाहिए। अध्यात्म स्टेरिंग की भाँति है जैसे गाड़ी में स्टेरिंग होती है जहाँ, जब चाहो उसे स्टेरिंग के माध्यम से मोड़ सकते हो, एक्सीडेन्ट (दुर्घटना) से बच सकते हो। वैसे ही मोक्ष मार्ग में बढ़ने वाले साधक को अध्यात्म स्टेरिंग की भाँति है, जीवन में किसी भी प्रकार के मोड/समस्या, आ जावे तो अध्यात्म के माध्यम से बचा जा सकता है उपसर्ग परीषह के समय अध्यात्म ही काम आता है। इसलिए साधक को हमेशा अध्यात्म की ओर दृष्टि बनाये रखना चाहिए, लौकिकता से बचना चाहिए।