आसन सिद्धि तन के स्पंदन को रोक, मन की एकाग्रता को बढ़ावा प्रदान करती है। एकाग्रता का अचूक साधन आसनों में सिद्धता को प्राप्त करना लगातार आसन लगाते-लगाते तन-मन अभ्यस्त होता चला जाता है। आसन सिद्धि परमार्थ के साधन को सहज दिलाने में समर्थ कारण बन शांति के क्षणों की प्राप्ति शरीर की निरोगता का बहुत बड़ा साधन हुआ करता है।
आचार्य ज्ञानसागरजी महाराज वृद्धावस्था के पड़ाव को पूर्ण करते हुए रोग परीषह को सहन करते हुए तीनों संध्याओं में पूर्ण पद्मासन लगाते थे। इसके कारण उन्हें पसीना कम आता था, वे आसनों के माध्यम से रोग को ढीला कर देते थे।
आचार्यश्री जी के श्री मुख से
२५.०४.२००३, शुक्रवार, कुण्डलपुर सिद्धक्षेत्र (मध्यप्रदेश)