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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • उदाहरणाचर्य

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    सच्चा-अच्छा जब बनता है जब विद्यार्थी, श्रोता व शिष्य को समझ में आ जाये और तभी तब समझाने, पढ़ाने वाले की सार्थकता सिद्ध होती है। जब वे शिष्यों को, भक्तों को श्रावकों को पढ़ाते थे तब विषय को स्पष्ट करने के लिए नित्य नये-नये अनुभूत उदाहरणों के माध्यम से विषय को सरलीकृत कर देते थे।

    एक बार उन्होंने विषय को समझाने के लिए उदाहरण दिया जो करोड़पति है वह लखपति भी है एवं हजार पति भी है, फिर पाई पति भी है तब शिष्य मंडली उनके ऐसे अनुभूत उदाहरण को सुनकर हँसते मुस्कुराते रहते थे। इस प्रकार विषय को समझकर अपने ज्ञान में भी वृद्धि कर लेते थे। एक बार पुनः उन्होंने दूसरा उदाहरण देते हुए कहा किसी को छिपकली ने काट दिया तो वह गोरा था छिपकली के काटने से काला हो गया यह वर्ण में अंतर नामकर्म के कारण आया। ऐसे उदाहरणाचार्य आचार्य ज्ञानसागरजी थे।


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