हरियाली से भर देना मरुस्थल को
नहीं है यह चमत्कार
शुद्ध करके हृदय को तरुवर-सा
बना देना हरा-भरा
यह है चमत्कार...
गगन पर कर लेना निवास
नहीं है यह चुनौती
जन-जन के दिल में
कर लेना वास
यह है चुनौती...
शिक्षित करना बंदर को
नहीं है यह शूरता
वरन्
शिक्षित करना चंचल मन को
यही है सही शूरता...
‘गिनी' ने अब
सही चमत्कार,
चुनौती और शूरता का पथ
समझ लिया था मन ही मन,
इसीलिए
दिनों-दिन उसका
आत्मविश्वास दृढ़ से दृढ़तर होता जा रहा था।