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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • ज्ञानधारा क्रमांक - 108

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    जिन दर्शन या धर्म प्रभावना

    निज दर्शन औ आत्म भावना

    लेकर यह उद्देश्य,

    आगे बढ़ते जा रहे शिवपथ पथिक

    दूर रहा उड़ीसा, छत्तीसगढ़ समीप।

     

    जब आता है बसंत ।

    तो मुस्काती है प्रकृति

    जब आते हैं संत

    तो मुस्काती है संस्कृति

    यही स्थिति है यहाँ की…

     

    राजिम में स्वागतार्थ जनता हुई सम्मिलित ।

    गूंज उठी अविराम जयघोष की ध्वनि

    ‘जय हो, जय हो विद्यासागरजी मुनि

    अमिट धर्म-प्रभावना कर

    रायपुर से दुर्ग होकर

    रूके कदम राजनांदगाँव,

     

    सेवार्थ रुके थे जो

    श्री मल्लिसागरजी के

    सरलमना पूज्य श्री योगसागरजी मुनि

    आ गये वे यहीं,

    पा गये पुनः गुरू पद-छाँव

    ‘युज' धातु से बनता है योग

    स्वभाव है उनका


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