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सोशल मीडिया / गुरु प्रभावना धर्म प्रभावना कार्यकर्ताओं से विशेष निवेदन ×
नंदीश्वर भक्ति प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • १०४. पूर्वावलोकी

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    प्रश्न उठने के पहले जिनके पास समाधान उपस्थित हों, उसे हम ज्ञान का भेदिया कह सकते हैं। जो ज्ञान की बारीकियों को जानकर समाधान के गुण से युक्त होकर कभी भी प्रश्न उठने पर निरुत्तर नहीं रह पाते हैं। यही ज्ञान गुण की परिणति को समाहित का परिणाम आत्मा में समाहित होकर आत्मज्योति के रूप में प्रकट होता रहता है। हर प्रश्न के उत्तर के दृष्टांत भी जिनके पास पहले से उपस्थित होते हुए देखने को मिलते रहते हैं। इसे हम पूर्व का ज्ञानी ही माने समझे बचपन का ज्ञान पचपन में इतना परिपक्व हो गया है। जो भी उस स्वाद को चख लेता है तो उसे दूसरे स्वाद पसंद नहीं आते। यह सब आपकी जिनवाणी के प्रति विनय भक्ति का प्रतिफल को दिग्दर्शित करने वाला आगम वाणी से ओतप्रोत परिणति का परिणाम है। जब आप विद्याधर की अवस्था में स्थित थे, उस समय भी उन गणित के प्रश्नों को हल कर देते थे। जिसे वैज्ञानिक लोग भी हल करने के पहले होश हवास को छोड़ देते थे लेकिन आप देव-शास्त्र-गुरु का स्मरण कर बिना घबराये समाधान की ओर गमन कर जाते थे। बिना ग्रन्थों के उपस्थित हुए भी आपकी स्मरण शक्ति में एक बार का पढ़ा, लिखा, सुना हमेशा के लिए समाहित हो जाता है। आचार्य गुरुदेव कभी भी किसी समाधान के लिए या व्यवस्था के लिए पूर्व में कोई अभ्यास नहीं करते। वे तो अपनी चिंतन की धारणा के माध्यम से पूर्व में पढ़े हुए ज्ञान को उपस्थित कर सहज वृत्ति से राग-द्वेष से रहित होकर ५० वर्षों से प्रश्नों के समाधान कर समस्याओं का सहज समाधान प्रदान करते हुए हम सबके लिए दृश्यमान हो रहे हैं।


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