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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • पत्र क्रमांक - ९१ मुनि बनने के बाद भी परीक्षा से पीछा नहीं छुटा

       (1 review)

    ३-०४–२०१६

    सागडोद (बाँसवाड़ा राज०)

     

    ज्ञान-ज्ञेय-ज्ञायक के साक्षात्कार गुरुवर श्री ज्ञानसागर जी महाराज को त्रिकाल प्रणति निवेदित करता हूँ...

    हे गुरुवर ! नसीराबाद के शान्तिलाल जी पाटनी ने आपका परीक्षक बनकर ब्रह्मचारी विद्याधर जी की परीक्षा ली और उसमें पूर्ण सफलता प्राप्त की। उन्होंने बताया

     

    मुनि बनने के बाद भी परीक्षा से पीछा नहीं छुटा

    "अजमेर चातुर्मास १९६८ के समय मुझे एक दिन गुरुजी ज्ञानसागर जी महाराज ने कहा- शान्तिलाल आप सदा मोक्षमार्ग प्रकाशक की बात करते हो। हमारे मुनि विद्यासागर जी उसे कभी नहीं पढ़ते। तब मैंने कहा- मैं परीक्षा कर लूँ क्या ? तो ज्ञानसागर जी महाराज ने अनुमति दे दी। मैं मुनि विद्यासागर जी के पास गया और उन्हें मोक्षमार्ग पढ़ने के लिए दिया। तो वो बोले-गुरुजी की आज्ञा है कि आचार्य प्रणीत ग्रन्थ ही पढ़ा करें और उन्होंने लेने से मना कर दिया।" इस तरह विद्यासागर जी की कभी भी कैसी भी परीक्षा करो। वो कभी अनुत्तीर्ण नहीं हुए। इस संसार से उत्तीर्ण होने के लिए गुरु आज्ञा नौका के समान है जिस पर मुनि श्री विद्यासागर जी चढ़ गए हैं, निश्चित ही उस पार उतरेंगे। ऐसी आज्ञाकारिता को नमन करता हुआ...

    आपका

    शिष्यानुशिष्य


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    Sakshi Jain Soni

       1 of 1 member found this review helpful 1 / 1 member

    धन्य है आचार्य श्री जी का जीवन जिनको आचार्य ज्ञानसागर जी महाराज जी जैसे गुरु मिले और हमको आचार्य श्री जी के जैसे गुरु मिले । बारंबार नमोस्तु -३ आचार्यजी 

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