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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • पत्र क्रमांक - 99 केशलोंच - रहस्य का पर्दा, प्रभावना

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    Vidyasagar.Guru

    पत्र क्रमांक-९९

    ०७-०१-२०१८ ज्ञानोदय तीर्थ, नारेली, अजमेर

    श्रेष्ठचर्यापालक श्रमणोत्तम गुरुवर श्री ज्ञानसागर जी महाराज के तीर्थंकरोक्त चरणाचरण की अभ्यर्चना करता हूँ... हे गुरुश्रेष्ठ! आपकी निर्दोष चर्या से आपकी ही तरह नव-नवोन्मेषी श्रमण श्री विद्यासागर जी महाराज आगम चर्या का निर्दोषरूप से पालन करते। अपने मूलगुणों के पालन में किंचित भी प्रमाद न होने देते। समय पर अपने कर्तव्यों का ध्यान रखते। दीक्षा के बाद हर तीन माह में केशलोंच करने की आज्ञा आपसे माँगते । आप गुरु-शिष्य के केशलोंच की जानकारी समाज को कैसे होती । इस सम्बन्ध में मुझे इन्दरचंद जी पाटनी ने ५ जनवरी २०१८ ज्ञानोदय तीर्थ पर बताया। वह रहस्य का पर्दा मैं उठा रहा हूँ-

    रहस्य का पर्दा

    "जब कभी ज्ञानसागर जी महाराज का केशलोंच का समय आ जाता तो वे संघस्थ साधुओं से पूछते-बानी (राख) मिल जाएगी क्या? तो संघस्थ साधु श्रावकों से बोलते तब सबको पता चल जाता था और जब मुनिवर विद्यासागर जी का समय हो जाता था तो गुरु महाराज से केशलोंच की आज्ञा माँगते तो लोग सुन लेते थे या उनके लिए संघस्थ त्यागीगण राख मँगाते तो पता चल जाता था कि कब केशलोंच है। मुनि श्री विद्यासागर जी के केशलोंच देखने के लिए खासकर युवा पीढ़ी उमड़ पड़ती थी। अजैनों को पता चलते ही वे भी केशलोंच देखने के लिए आते। इसका कारण था कि मुनि श्री विद्यासागर जी सुकुमार देही थे और उनके काले घने घंघराले सुन्दर बालों को वे ऐसे उखाड़ते थे, जैसे घास-फूस उखाड़ रहे हैं। उखाड़ते समय आवाज आती खट-खट की और खून की धार भी देखने में आती। सभी की आँखें, उनकी आँखों एवं चेहरे पर होतीं, कहीं आँसू तो नहीं आ रहे हैं? चेहरे पर कहीं कोई पीड़ा की तरंग तो नहीं आती है? किन्तु वे तो हँसते हुए उखाड़ते और लोग धीरे से अपने आँसू पौंछ लेते।" मुनि श्री विद्यासागर जी का दीक्षोपरान्त यह दूसरा केशलोंच था और ब्रह्मचारी अवस्था में किशनगढ़, दादिया एवं दीक्षा के समय अजमेर में ऐसे तीन केशलोंच कर चुके थे। इस तरह ये पाँचवा केशलोंच अपने हाथों से धुंघराले काले बालों को उखाड़ते देख दर्शकगणों की आँखों में नमी देखी जा रही थी। सभी के मुँह से यही निकल रहा था कि धन्य हैं ये वैरागी जो युवावस्था में ऐसी कठोर तपस्या कर रहे हैं। इस सम्बन्ध में २३ जनवरी १९६९ को ‘जैन गजट' में समाचार प्रकाशित हुआ-

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    केशलोंच से हुई प्रभावना

    "अजमेर-श्री १०८ परमपूज्य ज्ञानमूर्ति ज्ञानसागर जी महाराज के संघस्थ मुनिराज पूज्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज का केशलोंच १९-०१-१९६९ को महावीर मार्ग केसरगंज में महती प्रभावना के साथ हुआ। इस अवसर पर सर्वश्री विद्याकुमार जी सेठी, निहालचंद जी एम.ए., पं. हेमचन्द जी शास्त्री आदि वक्ताओं के प्रभावशाली भाषण हुए। श्री प्रभुदयाल जी तथा सेठ गम्भीरमल जी सेठी नसीराबाद के सामयिक भजन हुए। पूज्य मुनिराज संघ अभी केसरगंज स्थित श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन जैसवाल मन्दिर जी में विराजमान है। वयोवृद्ध मुनिराज श्री १०८ ज्ञानसागर जी महाराज का स्वास्थ्य कुछ सुधार पर है।"

    इस प्रकार आपके संघ के केशलोंच के महोत्सव के रूप में कभी कोई पर्चा नहीं छपा। आगमिक भावलिंगी चर्यापालक गुरुवर के चरणों में बोधित्व की प्राप्ति हेतु नमोऽस्तु नमोऽस्तु । नमोऽस्तु...

    आपका शिष्यानुशिष्य


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