पत्र क्रमांक-१०५
१३-०१-२०१८ ज्ञानोदय तीर्थ, नारेली, अजमेर
गुरु श्रद्धा में समर्पित गुरुवर श्री ज्ञानसागर जी महाराज के चरणों की श्रद्धापूर्ण वन्दना करता हूँ.. हे गुरुवर! १६-०२-१९६९ को श्री महावीरजी तीर्थक्षेत्र राजस्थान में परमपूज्य आचार्य श्री १०८ शिवसागर जी महाराज का स्वर्गारोहण हुआ तब आपने अपने गुरु को भावभीनी श्रद्धाञ्जलि अर्पित की थी। उस समय के समाचार नसीराबाद के इन्दरचंद जी पाटनी ने बताये। वह मैं आपको लिख रहा हूँ-
आचार्य शिवसागर जी का स्वर्गारोहण
१७-०२-१९६९ को आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज ससंघ ने उपवास रखा और मध्याह्न में मुनि संघ के सान्निध्य में श्रद्धाञ्जलि-सभा आयोजित हुई। जिसमें श्री माणकचंद जी एडव्होकेट ने प्रातःस्मरणीय आचार्य शिवसागर जी महाराज के आकस्मिक देहावसान पर गहरा दुःख प्रकट करते हुए दिगम्बर जैन समाज नसीराबाद की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की तत्पश्चात् मुनि श्री विद्यासागर जी महाराज एवं आचार्य ज्ञानसागर जी महाराज का भावपूर्ण उद्बोधन हुआ एवं नसीराबाद दिगम्बर जैन समाज ने १७ तारीख को पुण्य दिवस मनाया और अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रखे।'' इस सम्बन्ध में पाटनी जी ने २७-०२-१९६९ ‘जैन गजट' (साप्ताहिक अखबार) एवं ‘जैन मित्र' की कटिंग दी जिसमें इस प्रकार समाचार प्रकाशित हुआ-
"नसीराबाद-प्रातः स्मरणीय परमपूज्य श्री १०८ आचार्य शिवसागर जी महाराज के स्वर्गारोहण से शोकाकुल जैन समाज ने १७-०२-१९६९ को नगर में पूर्ण हड़ताल रखी तथा श्री सेठ ताराचन्द जी की नसियाँ में पूज्य श्री १०८ मुनि ज्ञानसागर जी, श्री १०८ मुनि विद्यासागर जी, श्री १०८ मुनि विवेकसागर जी के सान्निध्य में शोक सभा की। श्री १०८ पू. ज्ञानसागर जी व पू. विद्यासागर जी ने इस असार संसार का विवेचन करते हुए स्वर्गीय आचार्य शिवसागर जी महाराज के आदर्शों पर प्रकाश डालकर मुनि मार्ग का स्वरूप बतलाया।''
इस प्रकार आप गुरु-शिष्य ने आचार्य गुरुवर श्री शिवसागर जी महाराज को उपवास पूर्वक श्रद्धाञ्जलि अर्पित कर आगम परम्परा का निर्वाह किया था। ऐसे तपस्वी आचार्य श्री शिवसागर जी महाराज एवं उनके प्रथम शिष्य मेरे अपने दादागुरु श्री ज्ञानसागर जी महाराज और उनके प्रथम मुनि शिष्य मेरे गुरु श्री विद्यासागर जी के चरणों में नमन निवेदित करता हुआ...
आपका शिष्यानुशिष्य