पत्र क्रमांक-१७४
०६-०४-२०१८ ज्ञानोदय तीर्थ, नारेली, अजमेर
आगम के श्रेष्ठ व्याख्याता परमपूज्य आचार्य गुरुवर ज्ञानसागर जी महाराज के चरणों में त्रिकाल नमन निवेदित करता हूँ... हे गुरुवर! अतिवृद्धावस्था के बावजूद भी आप नसीराबाद चातुर्मास में मोक्षशास्त्र पर प्रवचन करते और आपके लाड़ले शिष्य मुनि श्री विद्यासागर जी महाराज प्रातः एवं दोपहर में मार्मिक प्रवचन करते । नसीराबाद में पर्युषण पर्व में अनेक कार्यक्रम हुए। इस सम्बन्ध में १२ अक्टूबर १९७२‘जैन गजट' में माणिकचंद जी ने समाचार प्रकाशित करवाया-
पर्युषण पर्व सोत्साह सम्पन्न
‘नसीराबाद-यहाँ पर परमपूज्य आचार्य श्री १०८ ज्ञानसागर जी महाराज एवं बाल ब्रह्मचारी मुनि श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज के ससंघ विराजमान होने से पर्व में अनेक कार्यक्रम सम्पन्न हुए। प्रातः ६:३०-७:३० बजे तक ‘मोक्षमार्ग प्रकाशक' पर मुनि श्री १०८ विद्यासागर जी का प्रवचन, मध्याह्न में २:00-३:00 बजे तक आचार्य श्री १०८ ज्ञानसागर जी महाराज का ‘मोक्षशास्त्र' पर प्रवचन, ३:00-३:३० बजे तक क्षुल्लक श्री १०५ विनयसागर जी महाराज का दसधर्म पर प्रवचन, पश्चात् पूज्य मुनि श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज का प्रत्येक धर्म पर बहुत ही मार्मिक प्रवचन होता था। रात्रि में पं. चंपालाल जी विशारद व क्षु. श्री १०५ पद्मसागर जी महाराज का प्रवचन होता था। भादवा सुदी १४ को आचार्य श्री का केशलोंच हुआ व उसी दिन ब्रह्मचारी स्वरूपानंद जी ने ११वीं प्रतिमा धारण करने हेतु आचार्य श्री से प्रार्थना की। श्री कजौड़ीमल जी अजमेरा ने उसी दिन आचार्य श्री से दूसरी व्रत प्रतिमा ग्रहण की।''
इस तरह दसलक्षण पर्व में संघ के प्रवचन बड़ी ही सरल भाषा में सुरुचिपूर्ण उदाहरण सहित होने के कारण नसियाँ जी का प्रांगण पूर्ण भरा रहता था और दिन में २ से ४ बजे तक दसलक्षण एवं चौबीसी का मण्डल विधान-पूजन भी खूब आनंद से हो गया। श्रावकों के धर्मध्यान में आपश्री का संघ निमित्त बना और जीवन के अन्तिम समय तक आप समाज को आत्मतत्त्व दिखाते ही रहे ऐसे वे क्षण आज नसीराबाद के लोग याद करते हैं। उन ऐतिहासिक क्षणों को नमन करता हुआ...
आपका शिष्यानुशिष्य