Jump to content
नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • पछ्चाताप करना ही 'प्रायश्र्चित’ है

       (0 reviews)

    भूल को भूल मानना यह तो सच्चाई स्वीकारना और सुधार करने का एक श्रेष्ठ पहलू है। लेकिन आजकल व्यक्ति अपनी भूल को स्वीकार नहीं करता है, बल्कि उसे झुठलाना भी चाहता है। प्राय: देखा जाता है कि व्यक्ति बुराई का तो जल्दी अनुकरण कर लेता है, लेकिन अच्छाई को जल्दी स्वीकार नहीं कर पाता है। यह आज के मनुष्य की सबसे बड़ी कमजोरी है। परम पूज्य आचार्यश्री की विशेषता है जब कभी कोई साधक गलती करता है, तो पहले उसे उसकी गलती का अहसास कराते हैं। फिर सुधार को प्रेरित करते हैं। ऐसा ही एक प्रसंग बना। प्रसंग किसी दूसरे का नहीं मेरा अपना ही है।

     

    प्रसंग : बात 20 मई 1997 की है। आचार्य भक्ति के बाद शाम के समय आचार्यश्री की वैय्यावृत्ति करने गए। निवेदन किया कि हम वैय्यावृत्ति करना चाहते हैं। उन्होंने पहले तो मना कर दिया, बाद में पुनः आग्रह किया तो स्वीकृति दे दी। मैंने हाथ में घी निकाला, पिघला हुआ था। उसकी दो-तीन बूंद तखत पर गिर गई। तभी आचार्यश्री ने मेरी ओर देखा, थोड़े डाँटते हुए बोले 'प्रज्ञा प्रमाद करता है? कैसे गिरा ये घी?” मैंने सहज में उतर दिया- पता नहीं कैसे गिर गया.? आचार्यश्री हँसने लगे, और कहते हैं- 'सामने तो गिरा रहा है और कहता है पता नहीं कैसे गिर गया.?' मैंने भी हँसते हुए कहा- 'क्षमा करें महाराज! यही तो आदमी की कमजोरी है कि वह अपनी गलती को गलती नहीं मानता।'

     

    आचार्यश्री बोले- 'प्रज्ञा! तुम्हारी तरह बहुत से लोग ऐसा कहते हैं, लेकिन अपने आपको सुधारने का प्रयास नहीं करते।' इसी दौरान आचार्यश्री ने अपने बचपन की घटना सुनाई। ‘जब हम छोटे थे, स्कूल नहीं जाना होता तो बहाना बनाना चालू कर देते थे। हमारी स्लेट पट्टी फूटी है, हम नहीं जाएँगे स्कूल। तब मल्लपाजी पूछते- स्लेट पट्टी कैसे फूट गई? तब हम कहते थे- 'पता नहीं कैसे फूट गई। हमें तो नई लाओ तब स्कूल जाएँगे।' हमें अच्छी तरह पता भी है स्लेट फूटी कैसे है, लेकिन बताएँ कैसे? लेकिन आज यदि कोई गलती हो भी जाती है तो स्वीकार करने का साहस हम सब में आ गया है और आना भी चाहिए। यह हमें और हमारे चिंतन को ऊँचाई देता है।


    User Feedback

    Create an account or sign in to leave a review

    You need to be a member in order to leave a review

    Create an account

    Sign up for a new account in our community. It's easy!

    Register a new account

    Sign in

    Already have an account? Sign in here.

    Sign In Now

    There are no reviews to display.


×
×
  • Create New...