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सोशल मीडिया / गुरु प्रभावना धर्म प्रभावना कार्यकर्ताओं से विशेष निवेदन ×
नंदीश्वर भक्ति प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • बुन्देलरवंड में आगमन कैसे?

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    भविष्य के गर्त में क्या है? आज तक कोई समझा नहीं है। लेकिन कभी-कभी भविष्य के चिन्तन में कुछ न कुछ रहस्य अवश्य होता है। आचार्यश्री ने भी ऐसा नहीं सोचा। पर विचार जरूर बनाया। वह आचार में आया। उसका यह संस्मरण है जो आचार्यश्री के श्रीमुख से सुना था।

     

    25 मार्च 2001 की प्रात:काल विहार करके बहोरीबंद अतिशय क्षेत्र में पहुँचना था। रास्ते में एक महाराज ने आचार्यश्री जी से पूछा- आचार्यश्रीजी आपने पहले बुंदेलखंड के बारे में न सुना था ना देखा था | फिर आपने क्या सोचा था की यहाँ इतना बड़ा संघ बनेगा।

     

    आचार्यश्री ने कहा- ऐसा तो सोचा नहीं था, लेकिन सब हो गया। बुंदेलखंड के विषय में हमने उस समय सुना जब मैं अजमेर में था। उस समय पं. जगनमोहनलालजी शास्त्री कटनी वाले आए थे। उन्होंने हमें कुंडलपुर (म.प्र.) में पंचकल्याणक महोत्सव में आने के लिए कहा था और बड़े बाबा के बारे में परिचय दिया था। पंडितजी वगैरह ने उस पंचकल्याणक महामहोत्सव में मुख्य अतिथि श्री भागचंदजी सोनी को बनाया था। वे उसके लिए अजमेर गए थे, उस समय उन्होंने हमें यहाँ (कुंडलपुर) के विषय में बताया था, हमने उस समय इस तरफ आने का विचार बनाया था।

     

    बस वह विचार क्रिया में परिणत हुआ और सन् 1976 में प्रथम चातुर्मास बुन्देलखण्ड में बड़े बाबा के श्रीचरणों में चातुर्मास हो गया। उसके बाद बड़े बाबा के चरणों में मन लीन हो गया और रम गया यहीं पर और बढ़ता गया संघ। आज सब जो है वह सामने है।


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