ऊर्ध्वगमन विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार कर्मों के उदय से ऊर्ध्वगमन नहीं होता बल्कि कर्मों के पूर्ण अभाव में जीव का ऊर्ध्वगमन होता है।