तृष्णा विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार
- तृष्णा की पूर्ति करने से वह कभी उपशमित नहीं होती, उसे पीठ दिखाये बिना वह उपशमित नहीं होगी।
- तत्व ज्ञान के माध्यम से ही तृष्णा को शांत किया जा सकता है।
- तृष्णा रूपी अग्नि को बुझाना चाहते हो तो धनादि की इच्छा छोड़ दो और जो रखा है, उसे भी त्याग दो।
- तृष्णा नागिन का जहर भव-भव में भी नहीं उतरता। जैसे इमली का पेड़ भले ही बूढ़ा हो जाये पर उसकी खटाई कम नहीं होती, ऐसे ही तृष्णा भी कम नहीं होती।
- तृष्णा रूपी अग्नि में संसार की सम्पदा ईंधन का काम करती है। उससे तृष्णा कम नहीं होती, बल्कि और बढ़ती है।
- "लार गिरती, गर्दन तो हिलती, तृष्णा युवती"।
Edited by admin