तपस्वी विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार
- काम की वंचना में तपस्वी नहीं आता।
- मान और अपमान की बू तपस्वी को छू ही नहीं सकती, बल्कि तपस्वी के चरणों में लगी धूल को इन्द्र मान छोड़कर अपने मस्तक पर लगा लेते हैं।
- तपस्वी की अपनी नहीं बल्कि धर्म की प्रभावना हो, ऐसी भावना रहती है।