सिद्धान्त विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार
- सिद्धान्त अपना नहीं होता अपने लिए होता है या यूँ कहो सिद्धान्त अपना नहीं होता अपने द्वारा अपनाया जाता है।
- सिद्धान्त का हनन नहीं होना चाहिए भले ही उसके तौर-तरीके बदल जावें।
- राग-द्वेष, प्रतिकूलता/अनुकूलता को एक समझे बिना कर्म सिद्धान्त समझ में नहीं आ सकता ।
- स्वभाव के लिए तर्क नहीं होता, यह सिद्धान्त अटल है।
- सिद्धान्त के साथ समझौता नहीं होता।
- सिद्धान्त को कभी भूलना नहीं चाहिए यदि प्रयोग में गड़बड़ी आ जावे तो सुधार लेना चाहिए।
- ईश्वर और ईश्वर के बारे में उनके सिद्धान्तों के बारे में जानना ही आस्तिकता है।
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