संगति विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार
- जिनके साथ रहने से पाप कम हो उनकी संगति करो।
- जीवन के रहस्यों को खोलने के लिए संत समागम अनिवार्य है।
- संतों का समागम बूंद का सीप से संयोग है, वह बूंद समागम से मोती बन जाती है।
- तीन लोक के आभूषण संत समागम की देन हैं।
- पंचमकाल में तीर्थक्षेत्रों और संतों के चरणों में जाकर धर्मध्यान कर लेना चाहिए वरन् पंचेन्द्रियों के विषय छूट ही नहीं सकते।
- साधु संगति करने से साधु बनने के भाव जागृत होते हैं।
- हम वीतरागी के पास जाकर यह सीख सकते हैं कि राग कैसे छोड़ा जाता है ?
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