रोग विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार
- रोगादि में होने पर साधक को कभी दु:ख का अनुभव नहीं करना चाहिए, बाह्य दु:ख के प्रति अचेतन हो जाना चाहिए।
- रोग हो गया तो निरामय प्रभु का ध्यान करो तभी निरोगी बन सकते हो।
- रोग है तो उसे समाप्त करने के लिए औषधि से मत डरो, क्योंकि रोग औषधि लेने से ही दूर होगा, भले ही औषधि कड़वी ही क्यों न हो ?
- औषधि रोग के लिए होती है, स्वभाव के लिए कोई औषधि नहीं होती है।
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