रास्ता विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार
- जैसे विद्यार्थी स्वयं अपना विषय चुनता है, वैसे ही हमें संसार एवं मोक्ष का रास्ता स्वयं ही चुनना चाहिए।
- जो रास्ते पर हमेशा-हमेशा चलते रहते हैं, उन्हीं से रास्ता पूछना चाहिए।
- इस संसार में सही रास्ता मिलना बहुत दुर्लभ है, जिनके प्रसाद से यह रास्ता मिला है तो उनके गुणों की स्तुति करना नहीं चूकना चाहिए।
- वे मीलों चलकर मंजिल पर पहुँच गये बिना कुछ कहे और तुम हो कि एक कदम भी नहीं चले और रफ्तार की बात करते हो।
- सही रास्ते पर भटकना अलग है और गलत रास्ता चलना अलग है, गलत रास्ते पर भटकन के अलावा कुछ हाथ नहीं लगेगा।
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