प्रतिशोध विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार
- दुनियाँ में प्रतिशोध की भावना रहती है, मोक्षमार्ग में यदि प्रतिशोध लेना चाहो तो इस शरीर से लो। इस शरीर ने कई बार धोखा दिया है, अब तुम उसे धोखा देकर तप करते हुए मुक्ति को प्राप्त करो।
- प्रतिशोध में हमेशा हिंसा के भाव होते हैं।
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