परीक्षा विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार
- ऐसे विद्यार्थी को हम पढ़ाना नहीं चाहते जो परीक्षा (सल्लेखना या उपसर्ग परीषह) से डरते हैं। साधु वही जो हमेशा सुखी रहे, क्योंकि त्यागी कभी मौत से नहीं डरता, वह तो उसका स्वागत करता है।
- कठिन परिस्थितियों से गुजरना बहुत बड़ी परीक्षा है, इसमें पास होने वाले को महान् फल मिलता है।
- परीक्षा के माध्यम से ही ज्ञात होता है कि हमारा पथ कितना सुगम, सरल एवं सीधा है। उस पथिक की क्या परीक्षा जिस पथ में शूल न हो। उस नाविक की क्या परीक्षा जिसकी धारा प्रतिकूल न हो।
- परीक्षा के बाद सफलता मिलती है तो परीक्षा देते समय हुई वेदना अपने आप गायब हो जाती है।
- ज्ञानी पुरुष वही है जो विपति के समय, परीक्षा के समय धैर्य से काम लेता है।
- यदि आपने अध्ययन किया है और प्रगति चाहते हो तो परीक्षा देना अनिवार्य है।
- परीक्षा के बिना हमारी आस्था और ज्ञान में निखार नहीं आ सकता।
- आज तो मात्र चुनाव में जीतना ही सफलता मान लेते हैं, यह एक सबसे बड़ी कमजोरी है।
- प्रलोभन के माध्यम से साधक की परीक्षा हो जाती है।
- स्वर्ण की परीक्षा तपाकर, तोड़कर, घिसकर की जाती है।
- चारों ओर से हमारी योग्यता क्या है इसका निर्णय लेना परीक्षा है।
- परीक्षा के बिना प्रामाणिकता नहीं मिलती।
- आत्मा की परीक्षा के लिए शरीर को तप की अग्नि में तपाना पड़ता है।
- इस शरीर का बिछुड़न ही एक मात्र मोक्षमार्ग में परीक्षा है।
- परीक्षा का नाम सुनते ही कई कमजोरियाँ सामने दिखने लगती हैं।
- संदेह को दूर करने के लिए परीक्षा जरूरी है।
- जहाँ देह है वहाँ संदेह नियम रूप से रहता है देह रहित में संदेह नहीं रहता।
- सत्य को सिद्धि की आवश्यकता नहीं होती। संदेह के निवारण के लिए प्रदर्शन अवश्य करना पड़ता है, यह व्यवहार है।
- विद्यालय जाये बिना विद्या नहीं आती, विद्या आयी है कि नहीं इसकी जानकारी के लिए परीक्षा होती है।
- परीक्षा के पूर्व जागृति रखना चाहिए, कमर कस लेना चाहिए।
- परीक्षा नहीं देना चाहते हो तो फार्म नहीं भरना चाहिए।
- अध्ययन के समय आपके साथ बस्ता, किताबें, गुरु सब होते हैं लेकिन परीक्षा के समय मात्र आपका दिमाग साथ होगा। (हम न किसी के कोई न हमारा)।
- परीक्षा से घबराओ मत, परीक्षा के बिना अगली कक्षा में प्रवेश नहीं मिलता।
- क्षमता का मूल्यांकन परीक्षा से ही होता है। अध्ययन कितना भी हो पर प्रश्न तो कठिन ही होते हैं।
- परीक्षा के समय अपने आप पर विश्वास होना चाहिए।
- आत्म-विश्वास का होना परीक्षा में बहुत अनिवार्य होता है।
- परीक्षा में अपने आप पर विश्वास होना चाहिए कि ४+४ = ८ ही होते हैं। अध्ययन किया है तो विश्वास अडिग होना चाहिए।