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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • मुनि

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    मुनि  विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी  के विचार

     

    1. संकल्प पूर्वक महाव्रत लेने वाले की उपयोग प्रणाली बहुत शुद्ध हुआ करती है, थोड़ा दोष लगता है तो तत्काल धुल जाता है।
    2. मुनिराजों की चर्या देखकर आलोचकों की बुद्धि ठिकाने आ जाती है, श्रद्धान जागृत हो जाता है।
    3. स्वप्न में भी इस दिगम्बर रूप का इस ‘मुनि मुद्रा' का दर्शन हो जाये तो महान् सौभाग्य समझना।
    4. मुनि के दर्शन होते ही हमें अपना स्वभाव ज्ञात हो जाता है। सभी को इसी रास्ते पर आना होगा यदि शाश्वत सुख चाहते हो तो।
    5. बहुत बड़ा पुण्य है जो इस अवसर्पिणी काल में भी धर्म करने का भाव हो रहा है और जो मुनि बने हैं, उनके पुण्य का तो वर्णन ही नहीं किया जा सकता।
    6. जिन्होंने हेयोपादेय को जान लिया, पाप क्रियाओं से रहित हो गये हैं, आत्महित में लीन हो गये हैं, इन्द्रिय व्यापार से रहित हो गये हैं, स्व-पर हित जिसमें निहित हो तभी बोलते हैं, संकल्प विकल्प से रहित है, वे ऐसे मुनि ही मुक्ति के पात्र हैं।
    7. संसार के समस्त पदार्थों से राग भाव छोड़ दो तो ज्ञानी, मुमुक्षुपना नाम सार्थक होगा, वरन् बुभुक्षुपना ही बना रहेगा।
    8. छोटी उम्र में जो दीक्षा ले लेते हैं, उन्हें भी मनोज्ञ साधु कहा जाता है।
    9. सुख-दु:ख का वेदन करते हुए भी जो हर्ष-विषाद नहीं करते, वे मुनिराज अलौकिक सुख का अनुभव करते हैं, इसे अतीन्द्रिय सुख कहते हैं।

    Edited by admin


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