क्रूरता विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार
- निर्दोष हिरण आदि प्राणियों का जहाँ संहार हो रहा हो, वहाँ अपराध करने वाले पर क्या जुल्म ढाया जाता होगा जरा सोचो ? यह तो क्रूरता की पराकाष्ठा ही हो गई।
- क्रूरता के साथ अपराधी अपराध करता है तो क्रूरता के साथ दण्ड नहीं दिया जा सकता। जिस कलम से जज जजमेन्ट देता है, उस कलम को तोड़ देता है।
- रावण माला फेरते हुए भी राम का अहित चाहता था, यह क्रूरता मानी जाती है और राम ने जंगल में भटकते हुए भी रावण को मारने के भाव नहीं रखे, यह करुणा मानी जाती है।
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