गुप्ति विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार
- गुप्ति में अंदर बैठ जाने से आत्मा की पूर्ण सुरक्षा हो जाती है, वहाँ कोई दूसरा तत्व प्रवेश कर ही नहीं सकता। गुप्ति में शरीर और मन दोनों की रक्षा हो जाती है।
- व्रत लिए बिना समिति का व्यवहार नहीं होता और समिति के पालन बिना गुप्ति में नहीं जाया जा सकता ।
- असत्य वचन नहीं बोलना वचन गुप्ति में आता है।
- आगम के अनुसार वचन बोलना वचन गुप्ति में आता है।
- राग-द्वेष की होली से बचना चाहते हो तो गुप्ति का आधार लेना चाहिए।
- गुप्ति में गुप्त होने का अर्थ है, एयरकंडीशनर में पहुँच जाना। पाप-पुण्य रूप बाहरी हवा से बच जाना।
- आत्मानुभूति के लिए गुप्ति आवश्यक है, जैसे मंजिल के लिए सीढ़ी आवश्यक है।
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