देशनालब्धि विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार
- देशनालब्धि का अर्थ गुरु के मुख से कहा हुआ, सुनना है और उपदेश का अर्थ किसी से भी सुनना होता है।
- अनादि मिथ्यादृष्टि को देशनालब्घि पूर्वक ही सम्यकदर्शन हुआ करता है।
- प्रभु की धर्म-देशना को सुनकर तिर्यञ्च भी अपना कल्याण कर लेते हैं।
- प्रभु की दिव्य-देशना सभी जीवों को अपनी-अपनी भाषा में सुनाई देती है।