चिन्ता विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार
- भौतिकी जीवन हमेशा-हमेशा चिन्ता का कारण है।
- चिन्ताग्रस्त होने से कभी समस्या का हल नहीं हो सकता।
- अंतरंग जगत् की पहचान होने पर बाहरी जगत् का वैभव चिन्ता का कारण नहीं बन सकता।
- चिन्ताग्रस्त मानव को मानव के पास नहीं बल्कि प्रकृति के पास जाना चाहिए।
- खिलते हुए फूल को देखकर चिन्ता में कमी आने लगती है।
- भविष्य की चिन्ता छोड़कर अतीत में पूर्वजों ने कैसा जीवन जिया है ? उस ओर ध्यान दें, तभी भविष्य उज्ज्वल हो सकता है।
- चिन्ता की बात नहीं, चिन्तन करो, चित् चमत्कार पैदा करो।
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