बुद्धिमान् विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार
- बुद्धिमान् वही है, जिसकी बुद्धि समय पर काम कर जाती है।
- सम्यक दृष्टि होकर भी बुद्धि सही काम तब नहीं करती जब उसका विनाश होना होता है।
- जो बुद्धिपूर्वक पाप क्रियाएँ नहीं करते, वे बुद्धिमान् कहलाते हैं।
- यदि ज्ञान होने पर भी संसारभूत पाप क्रियाएँ जिसकी रुकती नहीं हैं, वह ज्ञानी नहीं माना जाता।
- गुरु की कृपा से तो बुद्ध भी बुद्धिमान बन जाते हैं।
- क्रोध के उदय में भी जो क्रोध नहीं करता, वही बुद्धिमान् माना जाता है।
- बुद्धि के माध्यम से दुनिया को उठाना कठिन है, लेकिन उससे भी ज्यादा कठिनतम् कार्य है, अपने भावों को उठाना/सम्हालना।
Edited by admin