अतिथि विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार
- मोक्षमार्ग की साधना में लगने वाले अतिथि कहलाते हैं। अतिथियों में सम्पादक अतिथि हुआ करते हैं, जिस तिथि में ‘अतिथि'आ जाते हैं, वह पुण्यतिथि (शुभ) मानी जाती है।
- जिसमें आने-जाने की कोई तिथि निश्चित नहीं होती, वे अतिथि कहलाते हैं।
- अतिथि को भक्तिभाव पूर्वक दान देने से अद्भुत फल प्राप्त होता है, पंचाश्चर्य प्राप्त होते हैं |
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