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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • एकता

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    एकता विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी  के विचार

     

    1. एक में हर्ष तो हो सकता है, लेकिन संघर्ष एक में नहीं दो के बीच में ही होगा।
    2. जहाँ एकता होती है, वहाँ वात्सल्य रहता है।
    3. १ के सामने १ रखो ११ होते हैं। घर में एक, एक ही रहो लेकिन समाज में आते ही ११ हो जावे तो बहुत अच्छा होगा।
    4. मकान बनाने में प्रत्येक चीप (पत्थर का छोटा-सा टुकड़ा) भी चीफ का कार्य करती है। एकता के द्वारा बड़े-बड़े कार्य भी सहजता से एवं कम समय में पूर्ण हो जाते हैं। जैसे एक हाथ लिख रहा है तो दूसरा हाथ विश्राम नहीं करता वह भी सहयोग देता है।
    5. एक आँख जिस ओर देखती है, दूसरी भी उसका सहयोग देती है। एक कहती है तुम देखती रहो हम सहयोग दे रहे हैं, यही तो एकता का प्रतीक है।
    6. बच्चा जैसे बातों को जल्दी भूलता है वैसे ही हमें एक दूसरे की गलती को जल्दी भूल जाना चाहिए।
    7. समाज में एकता है, तभी तक वह समाज कहलावेगी, व्यक्तियों की संख्या का नाम समाज नहीं है।
    8. दर्जी (टेलर) के यहाँ मशीन में एक लड़ी (गिट्टी)में धागा आता है, और सटल से नीचे से भी एक धागा आता है! दोनों मिलकर सिलाई प्रारम्भ कर देते हैं। सिलने में कितने भी धागे (सूत्र) हों, कार्य एक ही स्थान पर एक ही होता है सिलाई का।
    9. एक आँख आ जाती है तो दूसरी आँख में आँसू आने लगते हैं, वे भाई-भाई जैसी हैं।
    10. एक दूसरे के पूरक बने बिना लक्ष्य तक नहीं पहुँच सकते। मुट्ठी से पदार्थ आसानी से फोड़ा जा सकता है, कनिष्ठा आगे रहती है कोई अपने को छोटा बड़ा न समझे। लाख चाहिए तो मुट्ठी बंधी रखो वरन् राख।
    11. कुछ दिन रहना है तो वात्सल्य, एकता के साथ रहो बहुत प्रतीक्षा के बाद नर तन मिलता है। संसार का चक्कर छूटता नहीं, प्रभु की भक्ति के लिए कुछ क्षण निकालो।
    12. भवन में कितने छोटे-बड़े पत्थर लगते हैं पता नहीं, छोटी चीप भी चीफ का काम करती है।
    13. एक माला तब बनती है, जब बहुत सारे मोती रहते हैं, एक सूत्र में बंधे होते हैं। एक दूसरे का सहयोग आपेक्षित रहता है।
    14. नारंगी की कलियाँ छिलके से बंधकर रहें वरन् सूख जावेगी।
    15. एक दूसरे से मिलते, मिलाते जाओ तो धर्म की वृद्धि होती जावेगी।

    Edited by admin


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