विकथा विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार
- विकथाएँ अध्यात्म की विराधना करने वाली होती हैं।
- धर्म कथा के अलावा और कोई कथाओं को संयतों को नहीं करना चाहिए।
- विकथा करने से बुद्धि एवं श्रुत ज्ञान नष्ट हो जाता है।
- विकथा पापास्त्रव को बढ़ाने वाली है। और मूर्खता को प्रगट कराने वाली है।
- दूसरे के भोजन के बारे में सोचना तो धर्म ध्यान है लेकिन अपने लिए सोचना ये विकथा है।