उपकरण मोक्षमार्ग विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार
- जिनलिंग, गुरुवचन, विनय और सूत्राध्ययन ये सभी उपकरण हैं। इन चारों आगमिक उपकरणों का आनुपूर्वी के साथ पालन करके सुरक्षित रखना चाहिए।
- शरीर परिग्रह भी बन सकता है और उपकरण भी बन सकता है। उपकरण बनाओ। एक-एक कष्ट सही एकदम आगे बढ़ जाओगे।
- बुराइयों से बचना और अच्छाइयों में लग जाना यह कोई रागद्वेष नहीं है इसलिए एक ही पदार्थ से ज्यादा चिपकना नहीं चाहिए। अन्न रुका नहीं, कि विष हुआ तो जितना आप चिपकोगे तो वह जहर का काम करेगा अन्यथा अमृत था। इसी प्रकार मोक्षमार्ग में उपकरण से चिपके नहीं, क्रम से उपयोग करते चले जायें।
- मोक्षमार्ग में पूर्ण ज्ञान की नहीं बल्कि पर्याप्त ज्ञान की आवश्यकता है। संयम लेने के बाद पूर्णज्ञान अपने आप प्राप्त हो जायेगा।
- मोक्षमार्ग में श्रद्धान मजबूत रखो, निर्दोष चारित्र पालो अक्षर ज्ञान कम भी हो तो भी कल्याण हो जायेगा।
- आप लोग कहते हैं-हम मोक्षमार्ग पर बढ़ना तो चाहते हैं पर संहनन नहीं हैं तो हम कहते हैं आप लोगों को भोगते समय याद नहीं आता धन कमाते समय संहनन याद नहीं आता।
- श्रावकों के ऊपर अति विश्वास करना ही गुरु आज्ञा का उल्लंघन है।
- गुरु की आज्ञा पर तो विश्वास नहीं और श्रावकों के ऊपर अति विश्वास कर लिया ये भी पथ भ्रष्ट होने के लिए कारण हो सकता है यही कारण हुआ था श्वेताम्बर की उत्पति में।
- मोक्षमार्ग विकास की ओर होना चाहिए विनाश की ओर नहीं।
- आलोचक तो मोक्षमार्ग में अपना परम मित्र है उनसे कर्म की निर्जरा होती है। मोक्षमार्गी को आलोचकों के प्रति क्रोधित नहीं होना चाहिए बल्कि आलोचना को शांति से सहन करना चाहिए।
- संसारी प्राणी जितनी हाई क्वालिटी की सोचता है उतना ही हाय हाय करता है और मोक्षमार्गी शांति की सोच के साथ सामान्य रहता है।