सहनशीलता/गंभीरता विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार
- गंभीर वह होता है जिसके अंदर गहराई रहती है, वह शांत रहता है लहरें नहीं उठती।
- गंभीर जो होता है उसके पास सहनशीलता होती है।
- आपत्तियों में जो अपनी परख कर लेता है वह संसार से पार हो जाता है।
- धैर्य/सहनशीलता, विश्वास है तो वह डूब नहीं सकता वह विमान में अवश्य बैठेगा।
- मानसिकता जिसकी अच्छी होती है वहाँ प्रकृति साथ देती है।
- जो आश्रयहीन हैं उन्हें आश्रय देना इसी में मानवता पनपती है।
- संवेदनशीलता, परोपकार, मित्रता, सहानुभूति ये आज मात्र कोष के शब्द रह गये हैं।
- गंभीरता को नापने धैर्यप्धृति की आवश्यकता है।
- एक दूसरे के पूरक बनकर कार्य करोगे तो वह सफल होगा।
- समय को ही धन मानकर चलो। मार्ग में थोड़ी कठिनाइयाँ आती हैं, होनी भी चाहिए। आती हैं कठिनाइयाँ तो सहन करो.सामना करो।