दिशा विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार
- यदि दिशा सही नहीं मिले तो दशा कभी सुधर नहीं सकती बल्कि और दुर्दशा होती चली जाती है।
- जिस प्रकार दिशा सूचक यंत्र सही-सही दिशा का बोध कराता है उसी प्रकार वीतरागी सच्चे गुरु भी सही सही दिशा का बोध कराते हैं।
- दूसरों को चलाना उतना महत्वपूर्ण नहीं जितना स्वयं को सही दिशा में चलाना।
- आप कहते तो हैं यह भिन्न है यह भिन्न है लेकिन थोड़ी भी प्रतिकूल दशा आ जाये तो फिर खेद-खिन्न हैं।
- यह पर है, यह पर हैं, फिर भी उसी में तत्पर है यह क्या है?
- धन और सत्ता के मिलने से व्यक्ति पागल हो सकता है और दशा बिगड़ जाती है।
- दशा ठीक करना चाहते हो तो दिशाबोध प्राप्त करो ।
- सही दिशा में किया गया प्रयास ही प्रयास है। गलत मार्ग पर चलना आभास मात्र है। आये गये, आये गये भटकन जारी है कोल्हू के बैल की तरह।
- बच्चों को आनंद तभी आता है, जब वे सीधे-सीधे न भागकर टेढ़े-मेढ़े भागते हैं। यही दशा वैभाविक दशा में संसारी प्राणी की है। उसे टेढ़ेपन में ही आनंद आता है, जबकि वह आनंद नहीं है।
- आजकल जो कार्य यंत्र नहीं कर सकता, पहले वही कार्य मनुष्य मंत्र के माध्यम से अपनी शक्ति को एक दिशा में लगाकर कर लेता था।
- साधन वही है जो साध्य को दिशा दे, कारण वही साधकतम है, जो कार्य को सम्पन्न करा दे, औषधि वही है, जो रोग की निवृत्ति कर दे, तप वही है, जो नर से नारायण बना दे।
- मनुष्य यदि कर्तव्यनिष्ठ है तो सही दिशा में उठे हुए एक कदम से वह महात्मा बन जाता है आवश्यकता है सही दिशा की।
- दिशा बदलने पर ही दशा बदलेगी। आपको मात्र निर्देशन डायरेक्शन की जरूरत है।
- जब दिशा ही खराब है, तो दशा भी खराब होगी।
- महावीर भगवान की दिशा 'भी' की ओर तथा हमारी दिशा 'ही' की ओर है।
- ६० साल ७० साल के हो जाने पर भी आप यही सोचते हैं कि मैं गद्दी का मालिक बना रहूँ चाबी बाँधे रहूँ बच्चों को नहीं दूँ, अगर चाबी दे दी तो घर वाले मुझे नहीं पूछेगे, मैं कहता हूँ कि अगर घर वाले नहीं पूछेगे तो मैं पूछूँगा।
- भगवान महावीर की पूजा घर में नहीं हुई, बाहर आकर 'ही' हटाकर 'भी' को अपनाने पर हुई।
- मन, वचन, काय बल जो हैं ये लड़ने के लिए नहीं होते, उन बलों के माध्यम से हम स्वयं भी लाभान्वित होते हैं। सही दिशा में काम करें तो औरों को भी बहुत लाभान्वित कर सकते हैं।
- सही दिशा में सही पुरुषार्थ बहुत कम समय लेता है, सही समय पर काम होता है निर्धारित समय से।
- मोक्षमार्ग में सम्यक दर्शन दिशा को बनाए रखो और चलते जाओ। लब्धि स्थान तो नीचे आते हैं लेकिन दिशा नहीं बदली आगे बढ़ते जाओ।