बुद्धि, मन विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार
- आप बुद्धि चलाओ तो समय बचाकर कुछ कर सकते हो।
- हमारी बुद्धि यदि हमारा साथ नहीं दे रही तो दूसरे की बुद्धि भी साथ नहीं देगी।
- मन का अर्थ बचपन है। जब बड़े हो जायेंगे तो मन काबू में आ जायेगा। यदि मन काबू में नहीं होता तो पचपन में भी बचपन ही रहता है। बच्चों जैसे ही हो जाते हैं।
- मन दिखता नहीं उसका नाम अंतरंग है वह भीतर रहता है लेकिन जो बहार दिखता है उस सबको वह वशीभूत कर लेता है।
- मन को जो वशीभूत कर लेते हैं वही हमारे आराध्य होते हैं। ऐसे आराध्य की आराधना करने वाले भक्त हो जाते हैं इस लिए मन को जिन्होंने जीत लिया है उनके पास जाया करो, गाड़ी मोटर नहीं है तो पैदल ही आया जाया करो।
- बुद्धि के माध्यम से समझे और पैरों से आचरण की ओर जायें। पैरों से यदि आचरण की ओर कदम नहीं बढ़ेगा तो मात्र बुद्धि से कुछ नहीं होने वाला।
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