बहुत कुछ जानने को मिला , जो मिला लगा बहुत कम है।
क्या करे इस ज्ञानावरणीय कर्म का , जब उदय में आया तोह प्रतियोगिता में कुछ याद ही नहीं आया।
जब पढ़ा आचार्य गुरुवर के बारे में डूबते ही चले गए उनके आचरण में । उतारना चाहा उनके आचरण को अपने आचरण में परन्तु कुछ उतार ही नहीं पाए अपने आचरण मैं। गुरुवर के चरित्र को पढ़ना बहुत अच्छा लगता है मेरे भगवन के बारे में जानना बड़ा अच्छा लगता है। बहुत बहुत धन्यवाद् इस तरह की प्रतियोगिता आपने रखी जिससे हम पढ़ पाए समझ पाए जान पाए हमारे गुरुवर को।