जय जिनेंद्र
3 अगस्त 2018
प्रातः स्मरणीय संत शिरोमणि आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज के
प्रवचन
अपनी मान्यताको सुधारो
आज हमारे बच्चे को धार्मिक शिक्षा कष्टप्रद मालूम होती है यह हमारी मान्यता है और मान्यताओं तो माननी से ही होती है ।
चायकी पत्ती को जैसे हम बोलते हुए पानी में डाल देते हैं तो वह काली हो जाती है फिर जब उसमें दूधडालते हैं तब लाल हो जाती हैं ।
यहहमारी मानयता है
ऐसे ही हमें अपनाना होगा आत्मा दिखने वाला है ही नहीं विश्वास के रूप में हम अपनी आत्मा को देख सकते हैं।
हमें विश्वास करना होगा हमें मान्यता मान्य नहीं होगी कि हमारा आत्मा देखने जानने वाला है वह अनुभव का विषय है जैसे हम चाय की पत्ती को दुबारा उब्लेंगे इसके स्वाद में अंतर आ जाता है ऐसे ही अनुभव 1 मिनट में होता है और अनुभव के अभाव में हम जिंदगी भर कुछ भी समझे तो समझ में नहीं आ सकता इसीलिए मोक्ष मार्ग हमको अनुभव में लेना प्रारंभ करना होगा कर्म तो चाय के पत्ते की भांति है एक बार अनुभव कर लिया तो हमको कुछ और काली भी मान लेते हैं अब हमारे समझदार बच्चों को मजधार में जो फसे हुए हैं उन्हें अनुभव से यही सिखाना होगा।
Meri jholi choti pad gayi re Itna Diya
मैंतो
शरण में तेरी आओ रे
Tere Charno Mein Ram Jaun re
me to nit pretty Shish zukauon re
और मेरा होवे समाधि मरण गुरुवर तेरे चरणों में namostu
Meri jholi choti pad gayi re Itna Diya
मैंतो
शरण में तेरी आओ रे
Tere Charno Mein Ram Jaun re
me to nit pretty Shish zukauon re
और मेरा होवे समाधि मरण गुरुवर तेरे चरणों में namostu