फिल्मकार ने बहुत ही उम्दा प्रस्तुतिकरण किया हैं विद्योदय का | विशेषतः आचार्यश्री की कृति (मूकमाटी) के द्वारा ही उनके जीवन चरित्र उजागर करने का सराहनीय प्रयास किया गया जो की अनूठा लगा | और फिल्म का पार्श्वसंगीत प्रभावी लगा |
आराध्य और आराधना के उपर गुरुजी के चिंतन / विचारों को पढके उनके (देव-शास्त्र-गुरु) प्रति ओर समर्पित भाव हुए बिना नहीं रह सकते। गुरुजी के चरणद्वय मे त्रियोग पूर्वक अनंतो बार नमोस्तु ।