आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज अजमेर में ब्रह्मचारी विद्याधर की दीक्षा विधी शुरू हुई, कड़कड़ाती धूप दर्शक गर्मी में बेहाल, लेकिन शांत। विद्याधर ने जैसे ही अपने कपड़े उतार कर फेके इन्द्र देव ने बारिश कर मुनि श्री विद्यासागर के चरणों का प्रक्षालन किया।
धन्य हो गये वो क्षण, मनुष्यों और देवों के द्वारा जय जयकार गूंज उठा।
धन्य हो गई आषाढ़ शुक्ल पंचमी।
गुरुदेव की दीक्षा कल्याणक तिथि।
नमोस्तु गुरूदेव नमोस्तु।