मैं खुश हूँ कि मेरे गुरु की उत्कृष्ट समाधि हुई है।😊
मैं दुखी हूँ कि अब मैं उनके साक्षात दर्शन के लिए तरस जाऊंगी।😔
मैं खुश हूँ कि मेरे गुरु की सबसे कठिनतम तपस्या सल्लेखना निर्बाद रूप से पूर्ण हुई।😊
मैं दुखी हूँ कि मैं उन्हें कभी आहार नहीं दे पाई।😔
मैं खुश हूँ कि निश्चित ही मेंरे गुरु निकट भव में मोक्ष की प्राप्ति करेंगे।😊
मैं दुखी हूँ कि मैं उनसे कोई व्रत, नियम, प्रायश्चित नहीं ले पाई।😔
मैं खुश हूँ कि मेरे गुरु की प्रेरणा से विशाल दीर्घजीवी जिनमंदिर,प्रतिभास्थली,हथकरगा,
शांतिधारा,पूर्णायु,गौशाला आदि बनने से सम्पूर्ण राष्ट्र और गौवंश का कल्याण हुआ है।😊
मैं दुखी हूँ कि अब हम सबको नई दिशा- दर्शन देकर कौन हमारा कल्याण करेगा।😔
मैं खुश हूँ कि मेरे गुरु की समता पूर्वक समाधि होने से उनकी पूरे जीवन की
तपस्या फलीभूत हो गई।😊
मैं दुखी हूँ कि मेरे गुरु के न होने से जैन समाज के लिए ही नहीं बल्कि संपूर्ण
राष्ट्र के लिए अपूर्ण क्षति है।😔
मैं खुश हूँ कि मेरे गुरु के शिष्यो का समागम मेरे साथ है।😊
मैं दुखी हूँ कि आपके शिष्यों को आपका समागम प्राप्त नहीं हो पाएगा।😔
मैं खुश हूँ कि मेरे गुरु ने समाधि मरण करके मृत्यु को मृत्यु महोत्सव बना दिया है।😊
मैं दुखी हूँ कि आपके पास से आने वाली प्रभावशाली,उर्जामय,
सकारात्मक वर्गणाओ (तरंगो) को अब कैसे पा पाएंगे।😔
मैं अपने लिए बहुत ही दुखी हूँ।😔😔
मैं अपने गुरु महान संत आचार्य विद्यासागर जी के लिए बहुत- बहुत खुश हूँ।😊😊😇😇
"मेघा जैन"