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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

Nirmala sanghi

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  1. जय जिनेंद्र गुरुदेव के सानिध्य में तत्वार्थ सूत्र का पाठ और वह भी भक्ति भादवा के महीने में। हम तो निहाल हो गए। रोज नहीं पढ़ पाते थेउसको । प्रतियोगिता इसके माध्यम से आराम से पढ़ना-लिखना सीखेंगे। हम तो जरा से ज्ञान में अपने आप को ज्ञानी समझते हैं और जब से सूत्रों कोवह पढ़ते हैं । तबपता चलता है कितने अज्ञानी हैं हम। आपकी टीम ने अवगत कराया । इसकेलिए बहुत-बहुत साधुवाद
  2. गुब्बारे में हवा भरी नीले और पीले में गुरुवरका यह प्रवचन बहुत ही मार्मिक लगा काश हम आचार्य श्री के प्रवचन को उनके समक्ष ही सुन पाते ऐसे ही अनुष्ठान कराने वाले और अनुष्ठान में भाग लेने वालों को जितना फल मिल रहा है उतना ही हे गुरुवर तेरी शिष्या बनू मैं हर पल तेरे साथ रहूं मैं निर्मला सांघी महल योजना जयपुर
    जय जिनेंद्र गुरुदेवतेरे दर्शन पाकर तन मन हर्षाया है। कबवह दिन आएगा आहार का मौका मिल जाएगा। गुरुदेव तेरे दर्शन पाकर तन मन हर्षाया है । ऐसालगता है कि जैसे हम खुजराहों में गुरु के समीप ही बैठे हैं। है तो जयपुर में पर तन और मन सब कुछ है गुरु चरणों में
  3. हे गुरुवर तेरे चरणों मे मैंतेरे साथ रहूं मैं हे गुरुवर तेरे चरणों मे सावन के महीने में आएगी जब राखी तू राखी तेरा धागा बनू मैं हर पल तेरे साथ रहूं मैं
  4. जय जिनेंद्र अहिंसापरमो धर्म की जय मेरेगुरुवर आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की जय जय जय शीर्षक:- पतित से पावन बनाने की कला आचार्यभगवन कहते हैं कि हम पर आश्रित नहीं बनै।जगाएं अपने आत्म पुरुषार्थ को जैसे कुंडलपुर के बरसाती झरने में एक मछली बिन पैरों के भी झरने का सहारा लेकर दौड़ रही थी सरपट ऊपर । तोहमें भी जितना धन मिला है हम उसे संग्रहित न करके पहुंचा दे ऊपर । एकसमय में सिद्धालय में पहुंच जाते हैं । हम भी अपनी आवश्यकता को पूरी कर थोड़ा सा जोर लगाकर अपना धन पहुंचा दे ऊपर यानी दान दक्षिणा में। तप और त्याग की शक्तियों से अपने पुरुषार्थ को जगाएं । उत्साहको आगे बढ़ाएं। अपनी शक्ति को संग्रहित करें । तभी हम पतित से पावन बन सकते हैं और हमारा विकास अवश्य होगा। बलवती शक्ति के लक्षण होते हुए भी मछली के समान आतम पुरुषार्थ कर सिद्धालय पहुंचना ही होगा। गुरुदेव श्री विद्यासागर जी महाराज की जय।
  5. जयपुर से हम लोग आचार्य श्री के दर्शन करने के लिए जा रहे हैं और हम भी भाग्यशाली हैं कि 14 तारीख का प्रोग्राम हमको वहां देखने को मिलेगा यह बहुत अच्छी हमारे लिए पुण्य वर्धनी बात है कि हम को गुरुवर के पावन चरणों के दर्शन 14 तारीख के प्रोग्राम में हो जाएंगे। मेरा आपकी कृपा से हर काम हो रहा है करते हो तुम गुरुवर मेरा भाग्य खुल रहा है।। संत शिरोमणी आचार्य श्री विद्यासागर जी के चरणों में मेरा व मेरे परिवार के प्रत्येक सदस्य का मन से वचन से काय से साष्टांग प्रणाम नमोस्तु नमोस्तु
  6. हम वंदन करते हैं अभिनंदन करते हैं गुरु सम बन जाने को अभिनंदन करते हैं। हम वंदन करते हैं गुरुवर श्री विद्यासागर जी महाराज के चरणारविंद में मन से वचन से काय स मेरा एवं मेरे परिवार के प्रत्येक सदस्य का साक्षात वंदन नमन नमो स्तवन नमोस्तु आचार्य भगवन आचार्यभगवन नमोस्तु आचार्यभगवन नमोस्तु
  7. जय जिनेंद्र गुरुसंत शिरोमणि श्री विद्यासागर जी महाराज का आज का 3 अगस्त का प्रवचन बड़ा मार्मिक है वह कहते हैं कि मोक्ष मार्ग संबंधी मान्यताओं में हमको अनुभव से काम लेना चाहिए जैसे कि चाय पत्ती से बार-बार स्वादिष्ट चाय नहीं बना सकते। और उस में दूध डालने से ही चाय का असली स्वाद आता है। इसी प्रकार हमको शुभ कर्म करते हुए अनुभव में अपनी मान्यता को बढ़ावा देना चाहिए। दर्शन और ज्ञान के द्वारा हम अपने अनुभव को प्रगाढ़ कर सकते हैं। अनुभव के अभाव में हमारी मान्यता गलत रहती है। निर्मला सांघी जयपुर
  8. धन्य हो गया जीवन मेरा सुने गुरु के प्रवचन आज महकामेरा जीवन देखो संयम कि मैं कर दो बरसात अपनेजीवन में अब मैं भी संयम धारण कर लो जैसागुरु जी बता रहे हैं वैसा जीवन अपना लूं। कब शुभ घड़ी मेरी आएगी संयम मय अपना मन को करो नियंत्रण में रसों का त्याग में भी कर दो गुरुवर तेरे दर्शन पाऊं अब तो पास बुला लो ना Nirmala sangee महलYojana Jaipur
    जय जिनेंद्र हम इस युग में कह नहीं सकते कि धरती पर भगवान नहीं विद्यासागरजी को देख कर लगता है मेरे भगवान मे
  9. जय जिनेंद्र श्री 1008 मुनिसुव्रतनाथ दिगंबर जैन मंदिर महल योजना यहां पर मात्र केवल 7 परिवार हैं और मंदिर जी से जुड़े हुए 20 परिवार फिर भी हमने संयम स्वर्ण महोत्सव पर बहुत अच्छी मंदिर की सजावट की और उसके बाद भी हम भी 10 जुलाई को आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के संयम स्वर्ण महोत्सव के तहत 48दीपकों के मंत्रों का उच्चारण करते हैं कि यह कार्य हमारे यहां है हम आपके बहुत आभारी हैं कि हमको आचार्य श्री के इस महोत्सव पर भक्तामर का पाठ करने का सौभाग्य मिला हम आपके आभारी हैं
  10. श्री 1008 मुनिसुव्रतनाथ दिगंबर जैन मंदिर महल योजना जगतपुरा जयपुर राजस्थानमें दिनांक 10 जुलाई को आयोजित 48 ऋद्धी मंत्रों से भक्तामर का पाठ इतनी छोटी सी जगह में परिवारों को एकत्रित होना यह है गुरुवर विद्यासागर जी के संयम स्वर्ण महोत्सव का जादू टोना । Dr Nrimala Sanghi, Shri 1008 Munisuvratnath Digaber Jain Mandir, Mahal Yojna, Jagatpura, Jaipur Rajasthan
  11. ऊ हम भी शनिवार की रात्रि को सोए हुए विद्यार्थी की तरह हैं यह सोच कर कि कल देर से उठना है या कल ऑफिस नहीं जाना और प्रमादवश संडे को सोए रहते हैं । कृपयामुझे मुझे भी प्रमाद से मुक्त करें हे मेरे गुरुदेव आपके चरणो में कोटि नमन।
  12. गुरुदेव का साहित्य हमें पहले ही पढ़ने को मिल जाता तो आज हम भी उनके बताए हुए चरण चिन्हों पर चल रहे होते।
  13. Gurudev ka Sahitya padne ka bhav raha hai phir bhi aapne kis ke Madhyam se Hame पढ़ने का मौका दिया है हम आपके आभारी हैं आपको चलता-फिरता शास्त्र हमारे हाथ में है अच्छा लगता है।
  14. हम भी व्यक्ति दूसरों पर गुस्सा करते रहते हैं और सोचते हैं कि सामने वाले ने हमें गुस्सा दिलाया अब हमें बदलना होगा अपने आप को किसी भी दूसरे को दोषी ना माने मैं अंतर में झांकी ऐसा परिवर्तन करना ही होगा हमें।
  15. मन के बाजार को रोककर मन को भीतर ही मोड़ना होगा हमको यही भावना करते हो।
  16. मन के बाजार को रोककर मन को भीतर ही मोड़ना होगा हमको यही भावना करते हो।
  17. ऐसी भावना है हमारी के हम भी त्यागी बनने की ओर प्रवृत्ति करें।
  18. जय जिनेंद्र सभीभावनाएं दिल को छूती है हमारा भी वह दिन कब आएगा जब हम कर्म निर्जरा की ओर अग्रसर हो सके
  19. ऐसी अंतरंगता के दर्शन हमें भी उपलब्धि प्राप्त हो जाएं यही भावना करते हैं।
  20. इस दुखमा काल में सुख कहा सुखतो मिलेगा मुनि बनकर हम भी इस पथ पर अग्रसर हो सके समाधिमरण हमारा भी हो सके इसी भावना के साथ आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज के चरणो में नमोस्तु पूज्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज के चरणो में कोटि कोटि नमन
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