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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

अभिषेक जैन 'अबोध'

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About अभिषेक जैन 'अबोध'

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  1. देह 108 आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के चरणों में सत-सत नमन-वंदन, नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु गुरुवर ??? संसार के सब बंधनो के मोह-माया जाल से प्राणी सदा बेचैन रहता मान खुद को देहमय भ्रम में सदा रहता भटकता, भूल निज आत्मा अब समय है चेत जा, ध्या अनित्य भावना अशरणमय इस जगत में स्व-आत्मा ही शुभ शरण है दुखमयि सुख आभासी जगत की छणिक निधियाँ चाह प्राणी त्याग दे गुरु चरण में शीश धरकर आत्म कल्याण की शुभ राह ले, मोक्ष रूपी लक्ष्मी वर ले देह से विदेह जा प्रभु भक्ति वश आत्मा के सुरमयि स-हृदय गीत गा।। सविनय नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु गुरुवर अभिषेक जैन सा-परिवार
  2. 108 आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के चरण कमलों में सत-सत नमन-वन्दन नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु गुरुवर -अभिषेक जैन सा-परिवार गुरवर सच्ची शरण तुम्हीं हो जीवन जीने की सच्ची राह तुम्हीं हो जग सागर में गोते खाती डग-मग नैया खेवनहार तुम्हीं हो तुम्हीं खैबैया पुण्य-पाप से ऊपर क्या शाश्वत सुख द्वार शिव पथ का मार्ग, दुख मेटनहार तुम्हीं हो जब से तुमसे पहचान हुई ज्यों खुद से मुलाकात हुई है, शुद्ध-शुभ आतमज्ञान तुम्हीं हो शरण तुम्हारी लागे प्यारी ध्यान बिना भटके दुखिया संसारी ज्यों पानी बिन मीन गुरु चरण की धूल मिलें बस इतनी सी विनय हमारी, विनती प्यारी आश तुम्हारी श्रद्धा सुमन समर्पित तन, मन अर्पित नमन, वन्दन, अभिनन्दन सन्त शिरोमणी गुरुवर।। सविनय नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु गुरुवर -अभिषेक जैन सा-परिवार ३७ आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज.docx
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