निज से लगाय लगन, लिये निज की शरण।
गुरुवर न्यारे,
घटायें आवागमन निज आत्मा का।।
निश दिन निज को जपें, ‘पर’ से स्नेह तजें।
जीवन सारा,
गायें गुणगान निज आत्मा का।।
निज मे श्रद्धान को बढ़ा कर, निज ज्ञान सम्यक् बना कर।
चारित्र साधें।
पालें रत्नत्रय निज आत्मा में।।
आपने शिवमार्ग अपनाया, हर पग उसपर बढ़ाया।
भवोदधि त्यागने,
पाने सिद्धधाम, निज आत्मा ने।।