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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

Ann July

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  1. अपने पुण्य उदय से २०१८ में खजुराहो में चल रहे चातुर्मास के दौरान मेरा specially गुरु जी के दर्शन के लिए २ सप्ताह के लिए New York से खजुराहो आना हुआ। प॰ महेश जी, सतना की सहायता से गुरु जी के दर्शन, आहार दान आदि बहुत अच्छे से हुए। आहार दान दे कर ऐसा विचार कि कुभोग भूमि में जाने से बच गई चरितार्थ होता है। यद्यपि उनसे कोई चर्चा नहीं हुई लेकिन दर्शन आदि से जो अनुभव हुआ वह जीवन भर तरोताज़ा रहेगा। उनके लिए लिखीं कुछ पंक्तियाँ जो गुरु जी को देने में सफल हुई। “”
  2. निज से लगाय लगन, लिये निज की शरण। गुरुवर न्यारे, घटायें आवागमन निज आत्मा का।। निश दिन निज को जपें, ‘पर’ से स्नेह तजें। जीवन सारा, गायें गुणगान निज आत्मा का।। निज मे श्रद्धान को बढ़ा कर, निज ज्ञान सम्यक् बना कर। चारित्र साधें। पालें रत्नत्रय निज आत्मा में।। आपने शिवमार्ग अपनाया, हर पग उसपर बढ़ाया। भवोदधि त्यागने, पाने सिद्धधाम, निज आत्मा ने।।
  3. निज से लगाये लग्न, लिये निज की शरण, गुरुवर प्यारे मिटाने आवागमन निज आत्मा का। निशदिन निज को जपें, 'पर' से स्नेह तजें, जीवन सारा गायें गुणगान निज आत्मा का। निज में श्रद्धान को बढ़ा कर, निज ज्ञान सम्यक बना कर, चारित्र साधैं, पालें रत्न त्रय निज आत्मा का। निज में शिवमार्ग अपनाये, पग-पग उस पर बढ़ाये, भवोदधि त्यागने, पाने सिद्ध धाम निज आत्मा का।
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