?सन्त शिरोमणि आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज के आज्ञानुवर्ती शिष्य, जिनके केवल दर्शन मात्र से ही परम् विशुद्धि का अनुभव होता है ऐसे 108 श्री नेमि सागर जी महाराज के दीक्षा दिवस पर गुरु चरणों मे कोटिशः नमोस्तु ।
देह निलय में गुरुवर ,देवता से हो विराजित,
मदन माया मोह मत्सर सब हुए तुमसे पराजित ।
शेष क्या अर्पण करु में जब किया जीवन समर्पित,
शरण तेरी पाके ऋषिवर हो गया हर रोम हर्षित ।
पूज्य मुनिश्री अक्षय सागरजी एवं मुनिश्री नेमिसागर जी महाराज का विहार मराठवाड़ा की माटी को पावन करते हुए,अपनी चर्या के द्वारा असीम प्रभावना करते हुए सिद्धक्षेत्र कुन्थलगिरी की ओर चल रहा है सभी दर्शन का लाभ ले ।?
✍?आकाश राउत