
Mamta
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अहिंसा प्रधान भारत देश में हिंसा का तांडव बढ़ ही रहा है | २०१२-१३ में भारत से १८.९ लाख टन मांस का निकास हुआ था , जो २००९ की अपेक्षा तीन गुना था | हमें यह कैसे मान्य हो सकता है कि जिस धरती को भगवान महावीर ने अपने अहिंसा के उपदेश से सिंची हो, वही धरती आज गौमाता और अन्य निरीह पशु के खून से रंगी जा रही हो ! कम से कम हमारा देश तो मांस के गिनौने व्यापार से निवृत्त हो जाए, यह हम सभी अवश्य चाहेंगे | मांस निर्यात के विरोध में आप भी अपनी सहमती दर्ज कराकर कमसे कम १०० और लोगो तक यह बात पहुचायें और उनकी भी सहमति एक पत्र पर लेकर दयोदय महासंघ के कार्यालय पहूँचायें | यदि १ करोड़ हस्ताक्षर से एक वर्ष में १ करोड़ गाय बचती हैं तो प्रत्येक फॉर्म भरने वाले को आजीवन १ वर्ष में १ गाय बचाने का (१ गौ दान ) का फल मिलेगा |
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पाक्षिक पत्रिका प्राच्य संस्कृति की भाँद्वित वर्तमान युग का ब्यौरा भी स्वर्णिम अक्षरों में लिखने का विचार बना है। कोशिश यह होगी कि यह ऐसा दस्तावेज बने जो भावी पीढी़ को भारतीय संस्कृति के इतिहास में स्वर्ण युग की ख्याति से साक्षात्कार करवाए। इस युग का नाम होगा संतशिरोमणि विद्यासागर स्वर्ण युग। यदि आप इस स्वर्णिम भावधारा के प्रत्यक्षदर्शी होना चाहते है तो इसका पारायण अवश्य करे।