नमोस्तु भगवान, मे बचपन से ही आप का नाम सुनती रही थी कि आचार्य विद्यासागर महा तपस्वी हैं पर वो बुंदेल खंड में ही विहार और प्रवास करते हैं...सुनते सुनते और टीवी पर देखते हुए मैं 39 बसंत जीवन के निकल गये, पर इतना पुण्य ना जूटा सकी थी कि आपका साक्षात दर्शन पा सकु... 2021 दिसंबर में आपके मंगल चरण कुंडलपुर की ओर आए, तव मेने आपकी ही तस्वीर के सामने खड़े हो कर अश्रुपूरित भावो से का था भगवान मेरी मृत्यु से पहले मुझे अपना साक्षात दर्शन का लाभ दो। और फिर क्या था आप का मंगल प्रवेश 8 दिसंबर को कुंडलपुर में हुआ और मुझे आपका दर्श 16 दिसंबर को आहार चर्या के समय हुआ। भागती ढूढ़ती हुई आपके चोके पहुची में... आपको देख कर आंखो से अश्रु बहने लगे जय हो जय हो मुख से स्वत: निकलने लगे ... सामने साक्षात तीर्थंकर सम भगवान को खड़े समाने .... तीन दिन लगतार तीन समय आपके दर्शन का लाभ मिला उसके बाद कुंडलपुर महोत्सव में भी आपके दर्शन का लाभ तीन दिन मिला.... उस दिन से आप जैसे मेरे हृदय वेदी पर विराजमान हो गए और मेरे आत्म प्रदेश में ही विचार कर रहे हो......