आचार्य श्री सदा स्वस्थ एवं प्रसन्न रहें जिससे हमें अपनी चेतना का भान होता रहे। भारत के निवासी आचार्य श्री की पिछले पचास सालों की निस्पृह चर्या देख कर अभिभूत हैं ,और जहाँ से निकलते हैं सब दर्शन कर अपार आनंद का अनुभव करते हैं, ग्रामीण अपने घरों की दीवारों पर सुन्दर अक्षरों में नमोस्तु लिखकर अपने को धन्य मानते हैं। कोटी कोटि नमोस्तु!