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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

संयम स्वर्ण महोत्सव

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  1. ऐतिहासिक मंगल कलश स्थापना से चातुर्मास शुरू सम्यकज्ञान, सम्यक चारित्र और दान आपके साथ रहेगा - आचार्य विद्यासागर छतरपुर । आध्यात्म एवं पर्यटन नगरी खजुराहो में आचार्य विद्यासागर जी महाराज का आज से चातुर्मास प्रारंभ हुआ। कलशस्थापना समारोह में देश-विदेश से भारी संख्या में उनके अनुयायी यों ने पर्यटन नगरी खजुराहो पहुंचकर उनका आर्शीवाद लिया। जिला कलेक्टर रमेश भंडारी और उनकी पत्नी ने भी इस मौके पर पहुंचकर आचार्य विद्यासागर जी के चरण पखारे और आर्शीवाद प्राप्त किया। इस मौके पर कलशस्थापना भी की गयी। आज के इस कार्यक्रम में भारी संख्या में जैन समाज सहित अन्य धर्मो के लोग भी शामिल हुए। कलश स्थापना के इस कार्यक्रम का संचालन और निर्देशन बा.ब्र. सुनील भैया अनन्तपुरा वालों द्वारा किया गया। रविवार को दोपहर २ बजे से से तीन प्रकार के कलशों के माध्यम से समाज के श्रावकगण चातुर्मास की कलश स्थापना हर्सोल्लास के साथ की गयी। प्रथम कलश यानि सबसे बड़े 9 कलश स्थापित किये गये ,मध्यम 27 कलश और सबसे छोटे 54 कलश स्थापित किये किये। ये सभी कलश आचार्य श्री के मुखारविंद से विधिविधान पूर्वक मंत्रो के उच्चा रण से स्थापित हुए,जिसे श्रावकगण बोली लेकर स्थापित किया गया। ये सभी कलश विश्व शांति और विश्व कल्याण के उद्देश्य और वर्षायोग के निर्विघ्न सम्पन्न होने की कामना से स्थापित किये जाते है। प्रथम कलश का सौभाग्य तरूण जी काला मुम्बई 2 करोड़ 7 लाख, द्वितीय कलश डॉ. सुभाषशाह जैन मुम्बई 1 करोड़ 51 लाख, तृतीय कलश का सौभाग्य हुकुमचंद्रजी काका कोटा 1करोड़ 17 लाख, चतुर्थ कलश का सौभाग्य उत्तमचंद्र जैन कटनी कोयला वाले 1 करोड़ 8 लाख, पंचम कलश का सौभाग्य प्रेमीजैन सतना वाले 1 करोड़ 31 लाख, छठवां कलश का सौभागय श्री प्रभातजी जैन मुम्बई पारस चैनल करोड़ 8 लाख, सातवां कलश ऋषभ शाह सूरत 1 करोड़ 8 लाख, आठवां कलश पं. सुभाष जैन भोपाल 54 लाख एवं पुष्पा जैन बैनाडा आगरा वाले एवं नौवां कलश का सौभाग्य अशोक पाटनी 2 करोड़ 52 लाख को प्राप्त हुआ। स्थानीय विधायक विक्रम सिंह नाती राजा और नगर परिषद् अध्यक्षा कविता राजे बुंदेला, इंदौर विधायक रमेश मेंदोला ने भी कलश स्थापना समारोह में आचार्य श्री को श्रीफल भेंटकर आशीर्वाद प्राप्त किया। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में कहा कि आप सब यहां सम्यकज्ञान, सम्यक चारित्र और दान देकर अगले भव के लिए अपने साथ ले जाने वाले है। आचार्यश्री ने कहा कि लगभग 38 वर्ष पूर्व मै खजुराहो पंचकल्याणक के लिए आया था। यहां कि कमेटी बार-बार खजुराहो के लिए आग्रह करती रही। मैं भी इस बार चलते-चलते यहां पहुंच गया। आचार्यश्री ने कहा कि यहां के राजा छत्रसाल का कुण्डलपुर के बड़े बाबा से गहन संबंध रहा है। राजा छत्रसाल ने बड़े बाबा को जब छत्र चढ़ाया उसके साथ ही उन्हें विजय प्राप्त हुयी। महाराजश्री ने कहा कि व्यक्ति को धन अपने पास श्वास जैसा रखना चाहिए ताजी ग्रहण करें और पुरानी निकालते जाए, सम्पत्ति हाथ का मैल है इसे साफ करते रहें। आचार्यश्री ने कहा कि आप सबका उत्साह सराहनीय है। खजुराहो क्षेत्र के विकास के लिए अपना योगदान देते रहें। पूर्व में खजुराहो क्षेत्र कमेटी सहित जैन समाज छतरपुर, पन्ना,सतना, टीकमगढ़ सहित एवं बाहर से पधारे अतिथियों ने आचार्यश्री को श्रीफल भेंट किया।
  2. *आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के मंगल चातुर्मास कलश की स्थापना पर खजुराहो में प्रथम कलश की बोली 207 कलश पर गई। प्रथम कलश की बोली श्री तरुण जी काला व समस्त काला परिवार निवासी मुम्बई द्वारा ली गई है।श्री तरुण जी काला मुम्बई को प्रथम कलश का सौभाग्य 207 कलश (2 करोड़ 7 लाख) में प्राप्त हुआ *द्वितीय कलश का सौभाग्य श्री डॉ सुहास शाह जी जैन मुम्बई को 151 कलश (1 करोड़ 51 लाख) में प्राप्त हुआ* *तृतीय कलश का सौभाग्य 117 कलश (1 करोड़ 17 लाख रुपये) में श्री हुकुम जी काका कोटा बालो को प्राप्त हुआ* *चतुर्थ कलश का सौभाग्य 108 कलश (1 करोड़ 8 लाख रुपये) में श्री उत्तम चंद्र जी जैन कटनी कोयला बालो को प्राप्त हुआ* पांचवे कलश की बोली 131 कलश पर गई और यह बोली श्रीमान प्रेमी जी परिवार सतना, कटनी वालो ने ली है। धन्य हो आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज की जय।?????? छठे कलश की बोली 108 कलश पर गई और यह बोली श्रीमान प्रभात जी मुम्बई वालो ने ली है। धन्य हो ऐसे महान आचार्य भक्तो की। जय हो आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज की जय।?????? सातवें कलश की बोली गुप्तदान में गई है। धन्य हो ऐसे महान आचार्य भगवान भक्तो की। जय हो आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज की जय।?????? आंठवे व अंतिम कलश में दो कलश की बोली सुभाष जी भोपाल वालो ने व बैनाड़ा परिवार वालो ने ली है। धन्य हो ऐसे महान आचार्य भगवान भक्तो की। जय हो आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज की जय।?????? नवे कलश की बोली श्रीमान अशोक जी पाटनी निवासी किशनगढ़ राजस्थान वालो द्वारा ली गई है। धन्य हो ऐसे महान आचार्य भगवान भक्तो की। जय हो आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज की जय।??????
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