श्री दिगम्बर जैनरेवातट सिद्धोदय तीर्थ नेमावर में राष्ट्र की महान् विभूति आचार्य विद्यासागर जी महाराज के पावन सान्निध्य में आजादी की स्वर्ण जयन्ती का एक ऐतिहासिक अभूतपूर्व जश्न मनाया गया। राष्ट्र के भावी नागरिक राष्ट्र की महान् संपत्ति जो अभी बालक कहलाते हैं ऐसे बच्चों की उपस्थिति जयन्ती के महोत्सव में काफी रही। यानि श्री दिगम्बर जैन विद्या मन्दिर खातेगाँव, सरस्वती शिशु मंदिर खातेगॉव, उच्चतर माध्यमिक शाला नेमावर के सभी शिक्षक गण अपने सभी छात्रों के साथ उपस्थित थे कार्यक्रम का शुभारम्भ ब्राह्मी विद्या समिति खातेगाँव की बहनों द्वारा मंगलाचरण से शुरू हुआ मंगलाचरण के बोल थे।
इंसान को इंसान बनाएं मानव को प्रेम की परिभाषाएँ समझाएँ
देश की अखण्डता खण्ड-खण्ड हो रही, देश को अखण्डता का दान दो,
देश को एकता का दान दो.................
इसके उपरांत महावीर प्रसाद झांझरी झूमरी वालों के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित किया गया। इसके उपरांत आचार्य श्री जी की आरती की गई। इसके उपरांत श्री दिगम्बर जैन विद्या मंदिर खातेगाँव के बाल-छात्रों द्वारा एक अनुपम विचार संगोष्ठी सम्पन्न हुई। राष्ट्रीय विचारों से छोटे-छोटे बालकों ने जन समुदाय को मंत्रमुग्ध कर दिया। सबसे पहले स्वयं प्रकाश राठौर ने अपने विचार रखे कि- आज हमको आजादी प्राप्त किये पचास वर्ष हो रहे हैं आज हम स्वर्ण जयंती मना रहे हैं लेकिन हमारा स्वर्ण जयंती मनाना क्या मायना रखता है ?, आज देश में चारो ओर गरीबी, भुखमरी, बीमारी, घोटाला, पतन, पशु हत्या, मांस निर्यात, जैसे घृणित कुकर्म की वृद्धि हुई है। हमारा स्वर्ण जयंती मनाना तभी सार्थक होगा जबकि हम अपने देश से इन सभी कुरीतियों को दूर कर दें। इसके उपरांत नीरज सेठी ने अपने विचार रखे-गाय हमारी माता है, वह हमको दूध देती है, उसकी रक्षा करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य होता है। आज हमारी सरकार जो गायों का वध कर रही है यह सरकार का गलत कदम है अत: स्वर्ण जयंती के इस महान् अवसर पर भारत सरकार को गी हत्या बन्दी कानून बना देना चाहिए। इसके उपरांत पुनीत पट्टा ने अपनी क्रांतिकारी कविताओं से सारे जन मानस को गर्म कर दिया उनके बोल थे।
भारत का उत्थान न होगा, मांस निर्यात की कमाई से।
विनाश होगा इस देश का, पशुओं की अवैध कटाई से॥
उन्होंने आगे कहा कि -
सरकार कमा रही अपना रूपैय्या
हिन्दुस्थान में कट रही हिन्दु की गैय्या
रोको रे यह कटती गैय्या
यह पाकिस्तान नहीं, हिंदुस्तान है भैय्या।
इन्होंने आगे अण्डों के बारे में कहा कि मुझसे एक व्यक्ति ने पूछा की क्या अण्डा शाकाहारी है? मैंने कहा नहीं, अण्डा मांसाहारी ही है अण्डा कभी भी शाकाहारी नहीं हो सकता फिर भी यदि आप अण्डे को शाकाहारी मानते हैं तो वह इस प्रकार होगा
अण्डे को
शाकाहारी मानना
ऐसा होगा
वैश्या को माँ बनाने
जैसा होगा!!!
इसके उपरांत कुमारी चन्दु झाला ने अपने कारुणिक विचार रखे- हमारी भारतीय संस्कृति में गाय को माता कहा जाता है जिस माता की हम पूजा करते हैं उसी को हमारी भारत सरकार कत्लखानों में काट रही है, क्या यही हमारी संस्कृति है? क्या यही हमारा धर्म है? कि हम पशुओं को काट रहे हैं, मांस निर्यात कर रहे हैं। भारत सरकार को इस पशु बलि को बन्द करना होगा, मांस निर्यात रोकना होगा। पशुओं की रक्षा करना ही न्याय है। आज हमको आवश्यकता है कि हम सब लोग जागें और भारत से मांस निर्यात बन्द करवायें। इसके उपरांत शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला नेमावर के छात्र भारमल चावड़ा ने अपने विचार व्यक्त किये- मांस निर्यात और मांसाहार दोनों हमारे देश के लिए ठीक नहीं है मांसाहार से बीमारियाँ फैलती हैं, आदमी के लिए तो शाकाहार ही सर्वोत्कृष्ट आहार है। मानव को अपनी प्रकृति का उल्लंघन कर मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिए। आज हमारे देश की स्वर्ण जयंती का दिन है। इस पावन अवसर पर हमको मांस निर्यात और मांसाहार को पूर्णत: समाप्त करने का संकल्प कर लेना चाहिए। इसके उपरांत श्री दिगम्बर जैन विद्या मंदिर की शिक्षिका कविता कासलीवाल ने अपने ओजस्वी विचारों से सारे जन मानस को हिलोर दिया उन्होंने कहा- हमारा देश कहाँ जा रहा है? हम किस ओर जा रहे हैं? वे व्यक्ति कहाँ गये जिन्होंने देश को आजाद कराया? उनके आदर्श, उनकी महानता आज हम भूलते जा रहे हैं, भारतीय संस्कृति को छोड़ते जा रहे हैं। चंद चाँदी के टुकड़ों के लोभ में हम विदेशी मुद्रा कमा रहे हैं पशुओं को कत्ल करके, ऐसी कमाई से क्या लाभ जो खून से सनी हुई है। आज पहली आवश्यकता इस बात की है कि देश के तमाम कत्लखानों पर ताला डाल दिया जाये। कत्लखानों को बन्द किये बिना भारत की उन्नति कभी भी नहीं हो सकती। इसके उपरांत प्रदीप काला खातेगाँव ने अपने विचार रखे-वह पहली खुशी थी जब हम स्वतंत्र हुए थे लेकिन आज सबसे बड़ा दुख इस बात का है कि हमारे स्वतन्त्र भारत में मांस निर्यात हो रहा है। इसके उपरांत शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला नेमावर के प्राचार्य महोदय ने भी अपन विचार व्यत किये-बड़े सौभाग्य की बात है कि माँ नर्मदा के पावन तट पर सन्त शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी वर्षायोग कर रहे हैं जिनके दर्शन मात्र से युगों-युगों के संचित पाप नष्ट हो जाते हैं।
यह वही भारत है जहाँ दूध और दही की नदियाँ बहती थीं, यह वही भारत है जहाँ राम, महावीर, कृष्ण, गौतम एवं अहिंसावादी पुरुषों का अवतार हुआ लेकिन आज इस भारत को क्या हो गया जो मांस निर्यात जैसे पाप कार्य में लिप्त है। मुद्रा कमाने के और भी साधन हैं उन अहिंसक साधनों को अपनाना चाहिए। इसके बाद नीरज जैन सतना वालों के विचार- कि आज १८ वर्ष के बच्चे को मतदान का अधिकार तो दे दिया गया लेकिन हमने मतदान देने की विधि नहीं सिखाई। इसके उपरांत आचार्य श्री जी के प्रवचन हुए।
Edited by admin